Wednesday, June 14, 2023

उपवन का सन्नाटा

उपवन का सन्नाटा
एक चीख तोड़ गई
अनगिन संदर्भों के
प्रश्नचिह्न छोड़ गई

आँख है गुलाबों
शूलों की कारा में
आँगन की मर्यादा
शापों की धारा में
गाँव के अबोलों से
रिश्तों की टूटन भी
राखी के हाथों को
असमय मरोड़ गई
उपवन का... 

शैतानी मंसूबे
दाँव लगा जीत गए
पनघट के प्रेमभरे
कुंभ- कुंभ रीत गए
सदियों के स्निग्ध स्नात
खेतों की पगडंडी
बारूदी गलियारे
अनचाहे जोड़ गई
उपवन का... 

श्लोकों-सी जिंदगी
नारों में डूब गई
घाटों में बँधी हुई
नौका-सी ऊब गई
मावस का अविश्वास
जूड़े-सा छूट गया
दामिनी घट कालिख का
दुपहर में फोड़ गई.

-जीवन शुक्ल

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