''नवगीत ने गीतकाव्य को सिर्फ भाषा, शिल्प और छंद की नवीनता ही नहीं प्रदान की है बल्कि उसकी अंतर्वस्तु को युगानुरूप सामाजिक चेतना देकर उसको प्रासंगिकता भी प्रदान की है। उसमें युग बोलता है, उसमें वर्तमान समय की धड़कनें सुनाई पड़ती हैं।''
-नामवर सिंह
-नामवर सिंह
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