Wednesday, November 27, 2013

नवगीत परिसंवाद २०१३

नवगीत को केन्द्र में रखकर दो दिवसीय कार्यक्रम २३ तथा २४ नवम्बर २०१३ को गोमती नगर, लखनऊ के कालिन्दी विला में सम्पन्न हुआ। नवगीत की पाठशाला के नाम से वेब पर नवगीत का अनोखे ढँग से प्रचार प्रसार करने में प्रतिबद्ध अभिव्यक्ति विश्वम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की कई विशेषताएँ हैं जो इसे अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों से अलग करता है। माँ वागीश्वरी के समक्ष मंगलदीप जलाकर कलादीर्घा पत्रिका के सम्पादक एवं चित्रकार अवधेश मिश्र ने पोस्टर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की संयोजक पूर्णिमा वर्मन ने विगत दो वर्ष से आयोजित किये जा रहे नवगीत परिसंवाद की संक्षिप्त रूपरेखा तथा नवगीत के लिये अभिव्यक्ति विश्वम की नवगीत विषयक भावी योजनाओं के विषय में जानकारी दी।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुये डा० भारतेन्दु मिश्र (दिल्ली) ने अपने बीज-वक्तव्य में गीत और नवगीत के अन्तर को स्पष्ट करते हुए बताया कि कब कोई गीत नवगीत की संज्ञा से अविहित हो जाता है, गीत और नवगीत में बहुत सूक्ष्म अन्तर है, भारतेन्दु जी ने सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और नागार्जुन की कविताओं के उद्धरणों के द्वारा गीत और नवगीत के अन्तर को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि नवगीत के लिए छन्द और युगीन संवेदना दोनों का होना आवश्यक है, नवगीत के लिए नई भाषा, नए मुहावरे और नए छन्द विन्यास की आवश्यकता होती है। यही दोनों के बीच बहुत महीन-सा अन्तर है।
देश और विदेश के नव रचनाकारों को नवगीत समझने व लिखने के लिये नवगीत की पाठशाला एक सहज मंच है। पाठशाला से जुड़े रचनाकारों- कृष्णनंदन मौर्य, वीनस केशरी, शशि पुरवार, ब्रजेश नीरज, सन्ध्या सिंह एवं श्रीकान्त मिश्र ’कान्त’ ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं जिन पर वरिष्ठ सहित्यकारों ने अपनी समीक्षात्मक टिप्पणियाँ देते हुए बताया कि किस नवगीत में कहाँ सुधार की आवश्यकता है।
पूर्णिमा वर्मन, विजेन्द्र विज, अमित कल्ला और रोहित रूसिया के द्वारा बनाये गये नवगीत पोस्टरों को दर्शकों के लिए विशेष रूप से लगाया गया था जिसे भरपूर सराहा गया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वरिष्ठ नवगीतकारों द्वारा नवगीत प्रस्तुत किये गये, मधुकर अस्ठाना (लखनऊ), डा० विनोद निगम (होशंगाबाद), डा० धनंजय सिंह (दिल्ली), दिनेश प्रभात (भोपाल), शशिकान्त गीते (खण्डवा) ने अपने-अपने प्रतिनिधि नवगीतों का पाठ किया, प्रत्येक कवि को रचना पाठ हेतु पच्चीस मिनट का समय दिया गया। सभी नवगीतकारों द्वारा प्रस्तुत किये गये नवगीतों पर प्रश्न पूछे गये जिसमें नचिकेता, मधुकर अस्ठाना, धनंजय सिंह, निर्मल शुक्ल, वीरेन्द्र आस्तिक, भारतेन्दु मिश्र जी एवं डा० जगदीश व्योम ने नवगीत के कथ्य, शिल्प व लय से सम्बंधित अनेक प्रश्नों व उत्तरों के द्वारा नवोदित गीतकारों का मार्गदर्शन किया।
तीसरे सत्र में नई पीढ़ी के रचनाकारों का कविता पाठ रखा गया। इसमें ओमप्रकाश तिवारी(मुम्बई), जयकृष्ण राय तुषार(इलाहाबाद), अवनीश सिंह चौहान (मुरादाबाद), रोहित रूसिया (छिन्दवाड़ा -म०प्र०), रविशंकर मिश्र (प्रतापगढ़) ने अपने नवगीत प्रस्तुत किये।
नवगीत के अकादमिक सत्र में वीरेन्द्र आस्तिक, नचिकेता, डा० भारतेन्दु मिश्र, गुलाब सिंह एव डा० ओमप्रकाश सिंह द्वारा नवगीतों के विविध पक्षों पर शोधलेख प्रस्तुत किये गये जिन पर चर्चा परिचर्चा में सभी ने अपने अपने स्तर के अनुरूप सहभागिता की।
चौथे सत्र में महिला नवगीतकारों ने काव्यपाठ किया जिसमें गीता पंडित(दिल्ली), यशोधरा राठौर(पटना), सीमा अग्रवाल, मधु प्रधान (कानपुर},  कल्पना रामानी (मुम्बई} ने अपने नवगीत प्रस्तुत किये। अतिथि कवियों में चन्द्रभाल सुकुमार तथा बल्ली सिंह चीमा की उपस्थिति सराहनीय रही दोनों कवियों ने काव्यपाठ किया।
विजेन्द्र विज एवं श्रीकान्त मिश्र नें मल्टीमीडिया विशेषज्ञ की भूमिका का निर्वहन किया। इस अवसर पर इन दोनों के द्वारा नवगीतों पर निर्मित लघु फिल्मों को दिखाया गया जिसे भरपूर सराहना मिली। इस अवसर पर नितिन जैन तथा रामशंकर वर्मा द्वारा निर्देशित नवगीतों पर नाट्यमंचन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन रोहित रूसिया ने किया।

नवगीत की पाठशाला द्वारा आयोजित २०१० तक की कार्यशालाओं से चुने हुये नवगीतों का एक संकलन "नवगीत-२०१३" अभिव्यक्ति विश्वम द्वारा प्रकाशित किया गया है, इस अवसर पर उक्त नवगीत संकलन का वरिष्ठ नवगीतकारों द्वारा लोकार्पण किया गया, इस संकलन में ८३ नवगीतकारों का एक एक नवगीत लिया गया है जिसमें नये रचनाकारों के साथ प्रतिष्ठित नवगीतकारों के पाठशाला पर प्रकाशित नवगीतों को भी प्रकाशित किया गया है।







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